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Coronavirus से कहीं आप भी तो बेचैन, परेशान नहीं? ऐसे निपटें दिमागी उलझनों से

10:30 AM Apr 20, 2021 IST | Health OPD
Pic Credit: © Kmiragaya

Coronavirus Mental illness solution and treatment: कोरोना वायरस को अब साल भर से भी ज्यादा हो गया है। कोरोना की सेकंड लहर के कहर के बाद लोगों के मन में डर और बढ़ गया है। ऐसे में एंग्जाइटी, चिड़चिड़ापन, डर, घबराहट और डिप्रेशन जैसे लक्षण बढ़ गए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना ही नहीं, मानसिक बीमारियों की भी महामारी (Coronavirus Mental illness solution and treatment) फैली हुई है। दिक्कत यह है कि मानसिक समस्याएं या तो साफ-साफ नजर नहीं आतीं या फिर लोग इन्हें स्वीकार नहीं करना चाहते। ऐसे में स्थिति गंभीर हो जाती है। सीनियर सायकायट्रिस्ट और सुसाइड रोकथाम पर काम कर रहे डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी (Senior Psychiatrist Dr. Satyakant tripathi) का कहना है कि जब भी कोई महामारी आती है तो समाज 2 भागों में बंट जाता है। (Coronavirus Mental illness solution and treatment)

कुछ लोग ज्यादा ही अलर्ट हो जाते हैं और बीमारी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी पाना चाहते हैं और सब कुछ अच्छी तरह फॉलो करते हैं, वहीं कुछ बिलकुल ही स्वीकार करना नहीं चाहते और डिनायल में चले जाते हैं कि हमें कुछ नहीं होगा। हालांकि इनके मन में कहीं-न-कहीं डर ही होता है जिसकी वजह से ही ये स्वीकार नहीं करना चाहते। डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोरोना काल में 30 से लेकर 50 फीसदी तक मानसिक समस्याएं बढ़ी हैं। 

ये डर सता रहे हैं ज्यादा
- कोविड हो जाने का डर, हो जाने पर इलाज या बेड न मिल पाने का डर
- अपने किसी करीबी को बीमारी से खो देने का डर
- नौकरी जाने या महंगाई बढ़ने का खतरा 
- दोस्तों, रिश्तेदारों से न मिल पाने की बेचैनी 

क्यों हो रहीं मानसिक समस्याएं-
बच्चों को पिछले एक साल में नॉर्मल जिंदगी नहीं मिली है। न वे स्कूल जा पा रहे हैं, न खेलने पार्क जा पा रहे हैं, न दोस्तों से मिलने बाहर जा पा रहे हैं।
- युवा बाहर जा रहे हैं तो कोरोना होने का डर तो है ही, साथ ही नौकरी जाने और पूरे घर की जिम्मेदारी उठाने का बोझ भी उनके मन में है।
- बुजुर्गों के मन में सबसे ज्यादा अवसाद है क्योंकि वे अपने ग्रुप से मिलने नहीं जा पा रहे।
- घर में किसी के पास उनसे बात करने का टाइम नहीं है।  
- पढ़ने या काम करने की नई तकनीक के साथ तालमेल बिठाने और  ज्यादा वक्त टीवी और मोबाइल पर बिताने से भी हो रही हैं समस्याएं।
-  देर रात तक मोबाइल या टीवी देखने से या तो नींद पूरी नहीं हो पा रही या फिर नींद की क्वॉलिटी खराब हो रही है। 

क्या है समाधान
डॉ. सत्यकांत के अनुसार कम्यूनिकेशन का बहुत ज्यादा अभाव हो गया है हमारे समाज में। लोगों का ज्यादा वक्त सोशल मीडिया और ऑनलाइन मीडिया के साथ बीत रहा है। साथ ही, हम भारतीयों में जरूरत से ज्यादा काम करने की आदत बन रही है। इन सब चीजों ने हमारी क्वॉलिटी ऑफ लाइफ काफी खराब कर दी है। 
- ऐसे में हमें ्अपने परिवार और दोस्तों के साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहिए।
- खुद अपने साथ भी कुछ वक्त बिताएं। वो काम करें, जिन्हें करने में मजा आता हो। 
- आज के दौर में टीवी की निगेटिव खबरों से थोड़ी दूरी बनाकर रखें। 
- अच्छा गाना सुनें और कॉमिडी फिल्में देखें।

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