Coronavirus की दूसरी लहर, Covid 19 की पहली लहर से कैसे अलग है
Coronavirus second wave and covid19 first wave difference: पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस (Coronaviurs Second wave) की दूसरी लहर की वजह से देश में एक दिन में कोरोना के मामले 1.85 लाख तक बढ़ गए हैं। यह बेहद डराने वाला आंकड़ा है लेकिन हमें डरने के बजाय नई लहर (Covid19 new wave) को समझने और निपटने की जरूरत है। (Coronavirus second wave and covid19 first wave difference)
जानें कोरोना की पहली और दूसरी लहर का फर्क (Coronavirus second wave and covid19 first wave difference) - दरअसल, पहली लहर में एक दिन में सबसे ज्यादा 17 सितंबर को 97,894 मामले सामने आए थे, जबकि इस बार 14 अप्रैल को 2 लाख मामले सामने आ चुके हैं। खास बात यह है कि यह पीक नंबर नहीं है क्योंकि अभी मामले बढ़ ही रहे हैं। ऐसे में एक दिन में कोरोना के सबसे ज्यादा केस अभी आने बाकी हैं।
- पिछली लहर में 8000 से 97,000 मामले तक पहुंचने में 108 दिन लगे थे, जबकि इस बार 8,000 से 1,03,558 तक का मरीजों की तादाद पहुंचने में कुल 63 दिन लगे। यह बताता है कि इस बार वायरस और तेजी से फैल रहा है।
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- पहली लहर में एक दिन में सबसे ज्यादा 1290 लोगों की मौत हुई थी। इस बार यह आंकड़ा करीब 1038 का है। हालांकि इसे भी फिलहाल आखिरी नंबर नहीं कहा जा सकता। अभी इस तादाद के और बढ़ने की आशंका है।
- पिछली बार वायरस 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित किया था लेकिन इस बार वायरस 18 से 40 साल के लोगों पर ज्यादा अटैक कर रहा है। यहां तक कि बच्चों पर भी इसका असर देखा जा रहा है।
- वायरस के लक्षणों में भी अंतर देखने को मिला है। पिछली बार की तरह बुखार, सिरदर्द, नाक बंद, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षणों के अलावा इस बार डायरिया भी काफी मामलों में नजर आ रहा है। यानी पिछली बार जहां वायरस ने रेस्पिरेटरी सिस्टम पर असर डाला था, वहीं इस बार डाइजेस्टिव सिस्टम पर भी असर दिख रहा है।
Coronavirus के दौरान व्रत रखते हुए इन बातों का रखें ख्याल
- इसके अलावा इस बार बुखार के साथ तेज ठंड भी लग रही है। दरअसल, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसकी वजह वायरस का लगातार म्यूटेट करना यानी अपने स्वरूप में बदलाव करना है।
एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया के अनुसार इस बार वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है। पहले अगर कमरे में 10 लोग होते थे और किसी एक को वायरस का इन्फेक्शन होता था, तो उससे कमरे में मौजूद 3-4 लोगों को ही कोरोना का इन्फेक्शन होता था, जबकि अबकी बार कमरे में मौजूद 10 में से 9 या दसों के दसों लोगों को संक्रमित हो रहे हैं। यही वजह है कि जिन जगहों पर ज्यादा लोग रहते हैं, डेंसिटी ज्यादा है, वहां वायरस को फैलने का मौका ज्यादा मिल रहा है।
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