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Coronavirus: कोरोना होने पर ऑक्सीजन की कब और किसे जरूरत होती है?

12:13 PM Apr 24, 2021 IST | Health OPD

Coronavirus: When and who needs oxygen?: कोरोना वायरस के मरीजों की बढ़ती तादाद के बीच यह जानना और समझना जरूरी है कि (Coronavirus: When and who needs oxygen?) कोरोना के किन मरीजों को वाकई गंभीर माना जाना चाहिए, किसके लिए यह वायरस घातक साबित हो सकता है और किसके लिए सामान्य सर्दी-जुकाम वाले वायरस की तरह काम करेगा। सीनियर कार्डियॉलजिस्ट डॉ. संदीप कुमार (Senior Cardiologist Dr. Sandeep Kumar) का कहना है कि 85-86 फीसदी तक लोगों को कोरोना कोई नुकसान नहीं पहुंचाता और लक्षणों के आधार पर उनका आसानी से इलाज हो जाता है। बाकी 15 फीसदी में से भी बहुतों का डॉक्टर की देखरेख में घर में इलाज मुमकिन है। हां, जिन्हें पहले से कोई बीमारी है, उन्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कोरोना के इलाज (Coronavirus: When and who needs oxygen?) को लेकर चल रही बहुत-सी गलतफहमियों का समाधान किया है। 

रेमडेसिविर से ही जान बचती है, ऐसा नहीं है  
रेमडेसिविर की कमी को लेकर मार्केट में काफी शोर मचा हुआ है। यहां तक कि लोग इस इंजेक्शन की कालाबाजारी भी कर रहे हैं। लेकिन ऐसा कोई डेटा नहीं है, जो यह बताता है कि रेमडेसिविर से मरीज की जान बचती ही है। हां, इस दवा के इस्तेमाल से मरीज के अस्पताल में रहने का वक्त जरूर कम होता देखा गया है। यह अपने डॉक्टर को तय करने दें कि किसी किस दवा की जरूरत है। 

ऑक्सीजन की जरूरत सबको नहीं होती
कोरोना के बहुत कम मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत होती है। अस्थमा, निमोनिया या सीओपीडी जैसी बीमारी में भी ऑक्सीजन थेरपी की जरूरत होती है। जिन लोगों को डायबिटीज़, हार्ट, अस्थमा या दूसरी कोई बीमारी है, उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है लेकिन जरूरत पड़े ही, ऐसा नहीं है। इन लोगों को ऑक्सीजन लेवल अच्छा रखना चाहिए लेकिन 90-92 सैचुरेशन तक भी घबराने की जरूरत नहीं है। डॉक्टर से सलाह लेकर ही ऑक्सीजन लें। 

ज्यादा ऑक्सीजन लेवल अच्छी सेहत की निशानी नहीं
किसी की ऑक्सीजन लेवल 93 है या 98 तो इससे कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता। दरअसल, 90 के सैचुरेशन पर पहुंचने के बाद कोई खास फायदा नहीं होता इसलिए ज्यादा ऑक्सीजन लेवल के पीछे न पड़ें। कई लोग सोचते हैं बीच-बीच में थोड़ी ऑक्सीजन ले लूं लेकिन इससे कोई फायदा नहीं है बल्कि ऐसा करने से जिनको जरूरत है, उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।

स्टेरॉयड और प्लाज़मा से बेहतर इलाज मुमकिन      
जिन लोगों को लंबे समय से कोई बीमारी है या शरीर में लगातार इन्फ्लेमेशन हो रहा है, उन लोगों को एंटी-कॉग्नेट स्टेरॉयड या प्लाज़मा थेरपी की जरूरत हो सकती है। लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें। 

वैक्सीन लगवाने के बाद हो रहा है कोरोना 
वैक्सीन लगवाने से कोरोना नहीं हो रहा। वैक्सीन लगवाने के बाद किसी कोरोना पीड़ित के संपर्क में आने के बाद कोरोना हो सकता है लेकिन वैक्सीन से कोरोना नहीं हो रहा। सरकार के अनुसार, जिन्होंने वैक्सीन लगवाई है, उनमें 0.03 से 0.04 फीसदी तक को ही कोरोना होने के मामले सामने आए हैं। इसके उलट, जिन लोगों को वैक्सीन लग जाती है, उनमें एंटीबॉडी होने से कोरोना भयंकर रूप नहीं लेता और मरीज को हल्के इन्फेक्शन से ही राहत मिल जाती है।

टेस्ट में नहीं आ रहा तो कोरोना नहीं है
बहुत-से मामलों में RT-PCR टेस्ट में कोरोना नहीं आ रहा लेकिन सीटी स्कैन में कोरोना मार्कर CORAD 5 मिल रहा है जो कोरोना होने की बात बताता है। दरअसल CORAD 6 होता है तो वह RTPCR टेस्ट में भी पॉजिटिव पाया जाता है लेकिन  CORAD 5 इसमें नहीं आ पाता। यही वजह है कि बहुत-से RT-PCR टेस्ट में कोरोना पकड़ में नहीं आ रहा।     

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