Dr. S. K. Sarin: लिवर के सस्ते और बेहतरीन इलाज की जोरदार कोशिश
डॉ. एस. के. सरीन का पूरा नाम शिव कुमार सरीन है। डॉ. सरीन का जन्म 20 अगस्त 1952 को हुआ। वे मशहूर गैस्ट्रोएंट्रॉलजिस्ट, हेपेटॉलॉजिस्ट, मेडिकल रिर्सचर, राइटर और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के पूर्व अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही सरीन लिवर पर एडवांस रिसर्च के लिए पहचाने जाने वाले इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) के डायरेक्टर भी हैं।
डॉ. सरीन को साइंस कैटिगरी में दिए जाने वाले सर्वोच्च भारतीय पुरस्कार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से नवाजा गया है। इतना ही नहीं, भारत सरकार ने भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए 2007 में डॉ. सरीन को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।
सरीन ने वर्ष 1974 में एसएमएसए मेडिकल कॉलेज, राजस्थान से मेडिसिन (एमबीबीएस) में स्नातक किया और वर्ष 1978 में राजस्थान विश्वविद्यालय से सामान्य चिकित्सा में एमडी की उपाधि हासिल की। इसके बाद सरीन ने नई दिल्ली स्थित एम्स से अपने करियर की शुरुआत की। वर्ष 1981 में उन्होंने गैस्ट्रोएंट्रॉलजी में डीएम की डिग्री हासिल की। 1997 में वह दिल्ली विश्वविद्यालय के गोविंद बल्लभ पंत इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्टग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन (GBPIPME) में गैस्ट्रोएंट्रॉलजी के प्रमुख और बाद में निदेशक नियुक्त किए गए।
वर्ष 2003 में डॉ. सरीन ने इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) की स्थापना की और वे इसके निदेशक हैं। इसके साथ ही डॉ. सरीन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मॉलिक्युलर मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाए दे रहे हैं।
डॉ. सरीन द्वारा लिवर पर रिसर्च आज दुनिया भर में एक मानक स्तर बन गई है। लिवर पर सरीन द्वारा की गई रिसर्च से क्रॉनिक एचबीवी संक्रमण, लिवर कैंसर और हेपेटाइटिस के बी. और सी. वैरिएंट को समझने में काफी मदद मिली है। डॉ. सरीन का भारत में हेपेटाइटिस बी. टीकाकरण कार्यक्रम में खास योगदान रहा है।
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