Health A to ZWomen and BeautySex and RelationshipWellnessVIDEOSKnow Your DoctorGeneralGhar Ka Doctor

heart disease prevention: दिल की बड़ी बीमारियां

01:30 AM Mar 21, 2025 IST | Vijay Dadwal

heart disease prevention: दिल से जुड़ी 4 बड़ी बीमारियां हैः एंजाइना, हार्ट अटैक, कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट फेल्योर।

एंजाइना कैसे पहचानें:

सीने के बीच में भारी दबाव महसूस हो, घबराहट हो, सांस अटकी-सी लगे, दर्द जबड़े की तरफ बढ़ता लगे, काम करने पर दिल का दर्द बढ़ने लगे तो एंजाइना का दर्द हो सकता है। आराम करने पर यह दर्द ठीक हो जाता है। इसकी वजह ब्लॉकेज होती है। एक्सरसाइज आदि काम करने पर दिल को तेजी से खून पंप करना होता है और ब्लॉकेज की वजह से ऐसा हो नहीं पाता। तब दिल में दर्द होता है।

क्या करें: मरीज आराम करे। दर्द हो तो ग्लाइसिरल ट्राइनाइट्रेट (Glyceryl Trinitrate) वाली 5 एमजी की गोली जीभ के नीचे रख लें। यह मार्केट में सॉरबिट्रेट (Sorbitrate) और आइसोर्डिल (Isordil) आदि ब्रैंड नेम नाम से मिलती है। इससे नस का साइज बढ़ जाता है और पूरा ब्लड पहुंच जाता है। यह फौरी राहत के लिए है। फिर डॉक्टर से मिलकर ईसीजी करा लें।

नोटः अगर 20-25 मिनट आराम करने के बाद भी दर्द कम न हो और घबराहट बनी रहे तो हार्ट अटैक का दर्द हो सकता है।

हार्ट अटैक कैसे पहचानें:

सीने के बीचोंबीच तेज दर्द हो, लगे मानो किसी ने दिल को जकड़ लिया हो, दर्द लेफ्ट बाजू की ओर बढ़ता महसूस हो, घबराहट/बेचैनी हो और पसीना आए और दर्द बढ़ता जाए तो हार्ट अटैक हो सकता है। अगर दिल की धमनियों में पहले से कोई ब्लॉकेज है और वह अचानक फट कर नली को ब्लॉक कर दे तो हार्ट अटैक होता है।

क्या करें:

एस्प्रिन 325 (Asprin) फौरन मरीज को चबाने को दें। यह मार्केट में डिस्प्रिन (Disprin), एस्प्रिन (Easprin), इकोट्रिन (Ecotrin) आदि नाम से मिलती है। यह आर्टरी को ब्लॉक होने और खून के धक्के जमने से रोकती है। एस्प्रिन न हो तो सॉर्बिट्रेट भी ले सकते हैं। लेकिन सॉर्बिट्रेट को खड़े होकर नहीं, बैठकर लें क्योंकि कई बार यह ब्लड प्रेशर अचानक लो कर देती है। इसके फौरन बाद मरीज को कैथ लैब वाले अस्पताल ले जाएं। वहां डॉक्टर एंजियोप्लास्टी कर स्टेंट डाल देते हैं। अगर दो घंटे में वहां पहुंचा मुमकिन न हो तो ऐसे किसी भी अस्पताल में ले जाएं, जहां मरीज को खून पतला करने वाली दवा दी जा सके। अटैक के पहले 3 घंटों में इलाज हो जाए तो ज्यादातर मरीजों को बचाया जा सकता है। 12 घंटे में सही इलाज न मिले तो दिल की मसल्स को परमानेंट नुकसान हो जाता है।

नोटः अल्सर या डेंगू के मरीज डॉक्टर से बिना पूछे एस्प्रिन या सॉर्बिट्रेट न लें।

कार्डिएक अरेस्ट कैसे पहचानें: अगर किसी का ब्लड प्रेशर एकदम नीचे (ऊपर वाला बीपी 90 तक) गिर जाए, शरीर पीला पड़ जाए, वह लड़खड़ाकर जमीन पर गिर जाए और उसकी धड़कन थम जाएं तो इसे कार्डिएक अरेस्ट कहा जाएगा। जिन्हें पहले हार्ट अटैक हो चुका हो, दिल की बीमारी की फैमिली हिस्ट्री हो, डायबीटीज हो या स्मोकिंग करते हों तो कार्डिएक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है।

क्या करें:

धड़कन रुकने के पहले 10 मिनट में सही इलाज मिल जाए तो बचने के चांस हो सकते हैं लेकिन इस मामले में हर एक मिनट कीमती है। जितना लेट करेंगे, उतना मरीज के बचने के चांस कम हो जाएंगे। मरीज को आराम से जमीन पर लिटा दें। इसके बाद मरीज की CPR शुरू करें। CPR यानी अपनी हथेलियों की मदद से मरीज को सीने को जोर से और तेज-तेज पंप करना। यह स्पीड एक मिनट में 80-100 बार तक होनी चाहिए। साथ ही, प्रेशर इतना हो कि हर बार सीना एक-डेढ़ इंच नीचे जाना चाहिए। अस्पताल में किसी को कार्डिएक अरेस्ट होता है तो डॉक्टर मशीनों से शॉक देकर हार्ट को वापस जिंदा करने की कोशिश करते हैं और कई बार यह कोशिश कामयाब भी होती है।

CPR कैसे करेः

हार्ट फेल होना कैसे पहचानें: अगर दिल की कोई समस्या लंबे समय से चल रही है और उसका सही से इलाज नहीं हो पाता तो दिल की मसल्स कमजोर होने लगती हैं और आगे जाकर हार्ट फेल हो सकता है। अगर हमारे दिल की पंप करने की क्षमता 60 फीसदी से घटकर 30 फीसदी रह जाए तो हार्ट फेल होने का खतरा होता है। ऐसा होने पर पंप किया ब्लड पीछे दूसरे अंगों में जमा होने लगता है। कुछ तरह के इन्फेक्शन में भी दिल पर बुरा असर पड़ता है। पैरों में सूजन, धड़कन का तेज होना, चलने के अलावा लेटने और बैठने पर भी सांस फूलना आदि हार्ट के कमजोर होने के लक्षण हैं।

क्या करें
दिल से जुड़ी किसी भी बीमारी का सही से इलाज कराएं। अगर हार्ट कमजोर हो गया है तो डॉक्टर यूरीन पास करने वाली दवाएं यानी डाययूरेटिस देते हैं। जरूरी लगने पर हार्ट के अंदर के प्रेशर को कम करने के लिए ऐस इन्हिबिटर (ACE inhibitor) दवाएं और हार्ट रेट कम करने के लिए बीटा ब्लॉकर दी जाती हैं। फिर आर्टिफिशल पंप (LVAD पंप) लगाया जाता है। जरूरी लगने पर हार्ट ट्रांसप्लांट भी किया जाता है।

.................................................

टेस्ट कौन-कौन से
हार्ट की बीमारी को पहचानने के लिए आमतौर पर ये टेस्ट किए जाते हैः

ECG: दिल की बीमारी को पकड़ने के लिए सबसे पहले ईसीजी टेस्ट कराया जाता है। यह टेस्ट हार्ट की इलेक्ट्रिकल गतिविधियों के जरिए दिल पर पड़ने वाले प्रेशर को चेक करता है। यह टेस्ट आसानी से हर जगह उपलब्ध है।
कीमतः 200 से 400 रुपये

TMT: दिल की धमनियों में ब्लॉकेज का पता लगाने के लिए TMT खासतौर पर फायदेमंद है। हालांकि इसमें कई बार यह गलत रिपोर्ट भी आ जाती है। इसकी रिपोर्ट को डॉक्टर 60 फीसदी तक ही सही मानते हैं।
कीमतः 500 से 1000 रुपये

ECO कार्डियोग्राम: यह कार्डिएक अल्ट्रासाउंड है। अगर दिल कम पंपिंग कर रहा है, वॉल्व की बीमारी है या हार्ट के फेल होने की आशंका है तो ECO कार्डियोग्राम कराना बेहतर है। TMT और ECO कार्डियोग्राम को मिलाकर 90 फीसदी तक नतीजा सही आता है।
कीमतः 2000 से 2500 रुपये

कार्डिएक CT: यह काफी गहन टेस्ट होता है। पहला हिस्सा नॉर्मल तरीके से, जबकि दूसरा पार्ट डाई देकर किया जाता है। जरूरी नहीं हो तो दूसरा हिस्सा न कराएं क्योंकि उसमें शरीर के अंदर केमिकल डालना पड़ता है।
कीमतः 12 से 15 हजार, दोनों पार्ट्स की जांच के लिए

Benefits of sprouted chickpeas: अंकुरित चने खाने के फायदे 

HSCRP टेस्ट: जिनकी दिल की बीमारी की फैमिली हिस्ट्री है, हाई सेंसटिविटी सी रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट उनके लिए खासतौर पर फायदेमंद है। सीआरपी काउंट से पता लगता है कि उस शख्स में दिल की बीमारी के कितनी आशंका है?
कीमतः 700 से 800 रुपये

कौन कब कराए टेस्ट
दिल की बीमारी की आशंका को लेकर आमतौर पर ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल टेस्ट यानी लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराए जाते हैं। इनमें कोई गड़बड़ी होने पर ईसीजी या दूसरे टेस्ट की सलाह दी जाती है। अगर दिल की बीमारी की मजबूत हिस्ट्री (मां और पापा को 40 साल या कम उम्र में दिल की बीमारी हुई हो) है और दूसरे रिस्क फैक्टर (स्मोकिंग, डायबीटीज आदि) हों तो 20 साल की उम्र में टेस्ट कराएं। नॉर्मल फैमिली हिस्ट्री (पैरंट्स को 50 साल की उम्र में दिल की बीमारी हुई हो) है तो 30 साल की उम्र में वरना 40 साल की उम्र में टेस्ट कराएं। गड़बड़ी है तो डॉक्टर के बताए अनुसार रिपीट कराएं, वरना 5 साल में फिर से टेस्ट कराएं।

Health OPD को आप FacebookTwitter पर जरूर फॉलो करें। हेल्थ से जुड़ी विश्वसनीय जानकारी के लिए आप हमारा YouTube चैनल जरूर सब्सक्राइब करें। फीडबैक या शिकायत के लिए आप हमें healthopdindia@gmail.com पर मेल कर सकते हैं।

Next Article