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Covid ने लोगों को मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत कियाः डॉ. देसाई

09:42 AM May 31, 2022 IST | Health OPD

Indian Women Press Corp, New Delhi: कोविड (Covid 19) ने भारतीयों को मानसिक समस्याओं को लेकर ज्यादा जागरूक किया है। कोविड (Covid) ही नहीं, दूसरी आपदाओं जैसे कि सेकंड वर्ल्ड वॉर (World War) कच्छ का भूकंप आदि आपदाओं ने भी लोगों को मानसिक रूप से मजबूत किया है और खराब हालत से बेहतर तरीके से निपटने की सीख दी है। यह बात इंस्टिट्यूट ऑफ ह्ययुमन बिहेवियर एंड एलायड साइंस (Institute of Human Behavior and allied Science) के एक्स डायरेक्टर और मशहूर सायकॉलजिस्ट डॉ. निमेष देसाई ने इंडियन विमिन प्रेस कॉप (Indian Women Press Corp) में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। 

डॉ. देसाई ने इस बात पर संतोष जताया कि धीरे-धीरे ही सही, भारतीय मानसिक समस्याओं पर खुलकर बात कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह भी चेताया कि इस मामले में हमें पश्चिम खासकर अमेरिका का अनुसरण करने से बचना होगा, जहां तकरीबन 50 फीसदी लोग किसी-न-किसी मानसिक समस्या के लिए दवा लेते हैं। हमारे देश में करीब 10-12 फीसदी लोग ही मानसिक समस्या से पीड़ित हैं। हालांकि यहां एक समस्या यह भी है कि इनमें से बमुश्किल 20 फीसदी को ही वक्त पर सही इलाज मिल पाता है।

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उन्होंने यह भी कहा कि हम भारतीयों की मानसिक स्थिति पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले बेहतर है और हम किसी भी समस्या से बेहतर तरीके से निपट सकते हैं। बकौल डॉ. देसाई सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि लोग यह समझ पाएं कि मानसिक समस्या को लेकर कब वाकई डॉक्टर और दवा की जरूरत है यानी मानसिक तनाव और बीमारी के बीच फर्क करना जरूरी है क्योंकि थोड़ा-बहुत तनाव तो हर किसी को होता है। उसमें घबरा कर डॉक्टर (psychologist) के पास जाने की जरूरत नहीं है। इस तरह की समस्याओं का निराकरण काउंसलिंग के जरिए आसानी से किया जा सकता है। साथ ही, दूसरों की मानसिक समस्याओं को लेकर लोगों को ज्यादा संवेदनशील होने की भी जरूरत है। किसी भी मानसिक रोगी का मजाक नहीं बनाना चाहिए।   

डॉ. देसाई ने बताया कि मानसिक समस्याओं से निपटने के लिए तीन स्तरीय सपोर्ट सिस्टम की जरूरत है। इस सपोर्ट सिस्टम में सबसे पहले परिवार, फिर दोस्त, रिश्तेदार या पड़ोसी और तीसरे नंबर पर पुलिस, हेल्पलाइन सेंटर और काउंसलर आदि आते हैं। उन्होंने माना कि कई बार लोग अपने मन की बात अनजान लोगों को बताने में सहज महसूस नहीं करते। सबसे पहले इहबास ने मेंटल हेल्पलाइन शुरू की लेकिन बहुत ही कम लोग कॉल कर अपनी समस्या शेयर करते थे। ऐसे में मेंटल तनाव या बीमारी से निपटने में परिवार सबसे अहम भूमिका निभा सकता है।

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पहले हमारे समाज में जॉइंट फैमिली का चलन था, जो पश्चिमी देशों की देखा-देखी तेजी से सोलो यानी एकल परिवार में बदल रहा है। यह भी मानसिक समस्याओं की एक बड़ी वजह है। जॉइंट फैमिली में लोगों को तनाव कम महसूस होता था। इसके अलावा अपनी हॉबी यानी पसंद का काम करने से भी मानसिक समस्या से निपटने में मदद मिलती है। लेकिन कोई भी इलाज बीच में ना छोड़ें और डॉक्टर के लगातार संपर्क में रहें। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए उन्होंने अच्छे पोषण को भी जरूरी बताया। कार्यक्रम का संचालन आईब्लूपीसी की अध्यक्ष शोभना जैन और उपाध्यक्ष सिमरन सोढ़ी ने किया।

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