Thyroid problems: फ्लैक्स-सीड्स और दही खाने के साथ खाने से दूर होती है थायरॉयड की समस्या
Thyroid problems: थायरॉयड एक तितली के आकार की ग्रंथि है, जो गले में स्थित होती है और शरीर के मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करती है। जब यह ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती, तो हाइपोथायरायडिज़्म या हाइपरथायरायडिज़्म जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।(Thyroid problems) इसके लक्षणों में वजन बढ़ना या घटना, थकान, बाल झड़ना, डिप्रेशन, त्वचा में रूखापन और हार्ट रेट में असमानता शामिल हैं। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए दवा के साथ-साथ सही आहार भी बेहद महत्वपूर्ण होता है।
फ्लैक्ससीड्स और दही का महत्वः
अलसी (Flaxseeds) और दही, दोनों ही पोषण से भरपूर प्राकृतिक आहार हैं, जो थायरॉयड की समस्या को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। इनके नियमित सेवन से थायरॉयड ग्रंथि का सही तरह से काम करना सुनिश्चित किया जा सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि ये दोनों चीजें किस प्रकार लाभकारी हैं।
1. फ्लैक्स-सीड्स
फ्लैक्ससीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड, लिग्नान, फाइबर और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व थायरॉयड स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं।
फ्लैक्स-सीड्स के फायदे:
ओमेगा-3 फैटी एसिड: थायरॉयड ग्रंथि में सूजन को कम करता है और हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
लिग्नान: यह एक प्रकार का एंटीऑक्सिडेंट होता है, जो शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन को ठीक करने में सहायक होता है।
फाइबर: यह पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है, जिससे मेटाबॉलिज़्म सही रहता है और वजन नियंत्रण में मदद मिलती है।
मैग्नीशियम और सेलेनियम: थायरॉयड ग्रंथि की कार्यक्षमता को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
कैसे करें सेवनः
रोज़ाना एक चम्मच पिसे हुए फ्लैक्स-सीड्स का सेवन किया जा सकता है। इसे सलाद, दही, या स्मूदी में मिलाकर खाया जा सकता है। इन सीड्स का पाउडर बनाकर पानी या दूध में मिलाकर पिया जा सकता है।
2. दही: प्रोबायोटिक्स से भरपूर सुपरफूडः
दही एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक आहार है, जो पेट की सेहत को सुधारने के साथ-साथ थायरॉयड ग्रंथि के बेहतर कार्य करने में मदद करता है।
दही के फायदे:
प्रोबायोटिक्स: दही में लाभकारी बैक्टीरिया होते हैं, जो आंतों के स्वास्थ्य को सुधारते हैं और पाचन क्रिया को मजबूत बनाते हैं।
कैल्शियम और विटामिन डी: ये पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ-साथ थायरॉयड ग्रंथि के सही कार्य को सुनिश्चित करते हैं।
प्रोटीन: दही में मौजूद उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन शरीर की ऊर्जा को बनाए रखता है और थकान को कम करता है।
आयोडीन: दही आयोडीन का अच्छा स्रोत है, जो थायरॉयड हॉर्मोन के निर्माण के लिए आवश्यक होता है।
कैसे करें सेवनः
रोज़ाना एक कटोरी ताजे दही का सेवन करें। इसे फलों के साथ मिलाकर खाएं या लस्सी के रूप में पी सकते हैं।
फ्लैक्ससीडस के पाउडर को दही में मिलाकर खाएं, इससे इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
थायरॉयड के लिए फ्लैक्ससीडस और दही का कॉम्बोः
जब फ्लैक्ससीडस और दही को एक साथ सेवन किया जाता है, तो यह थायरॉयड की समस्याओं को दूर करने में अधिक प्रभावी साबित हो सकता है।
कैसे करें सेवनः
एक कटोरी ताजे दही में एक चम्मच पिसे हुए फ्लैक्ससीडस मिलाकर खाएं।
इसे सुबह के नाश्ते में या दोपहर के भोजन के बाद लिया जा सकता है।
बेहतर पाचन और पोषण अवशोषण के लिए इसे नियमित रूप से खाने की आदत डालें।
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अन्य जरूरी बातेंः
थायरॉयड की समस्या को दूर करने के लिए केवल आहार ही नहीं, बल्कि जीवनशैली में भी सुधार लाना जरूरी है।
1. सही आहार लेंः
आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे सेंधा नमक, समुद्री शैवाल, और मछली का सेवन करें। प्रोसेस्ड फूड, शुगर, और कैफीन से बचें। अधिक मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां और नट्स खाएं।
2. शारीरिक सक्रियता बनाए रखेंः
रोज़ाना 30-40 मिनट तक योग, वॉकिंग या हल्की एक्सरसाइज़ करें। विशेष रूप से सर्वांगासन और मत्स्यासन जैसे योगासन थायरॉयड ग्रंथि के लिए लाभकारी होते हैं।
3. तनाव को करें नियंत्रितः
मेडिटेशन और प्राणायाम करें, जिससे हॉर्मोनल असंतुलन ठीक हो सके। पर्याप्त नींद लें और बहुत अधिक चिंता न करें।
सारः थायरॉयड की समस्या को नियंत्रण में रखने के लिए सही आहार और जीवनशैली बहुत महत्वपूर्ण है। फ्लैक्ससीडस और दही, दोनों ही पोषण से भरपूर सुपरफूड हैं, जो थायरॉयड ग्रंथि को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। इनका नियमित सेवन करने से मेटाबोलिज़्म सही रहता है, वजन नियंत्रण में रहता है, और शरीर ऊर्जावान महसूस करता है। यदि आपको पहले से थायरॉयड की समस्या है, तो दवा के साथ-साथ इन प्राकृतिक उपायों को अपनाकर अपने स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं। लेकिन कोई भी नया आहार अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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