What is Proning: प्रोनिंग क्या है, इससे कैसे बढ़ता है ऑक्सीजन लेवल
What is Proning: ऑक्सिजन की कमी से कई कोरोना मरीजों की मौत हो गई है। वहीं इससे बचने के लिए प्रोनिंग (Proning for oxygen level) ऐसी तकनीक जिसका सही इस्तेमाल किया जाए तो बॉडी में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाया जा सकता है।शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए प्रोनिंग एक प्राकृतिक तरीका है। (What is proning, how proning increases oxygen level in body)
प्रोनिंग क्या है (What is proning)
ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए पेट के बेल लेटा जाता है।जिन लोगों को कोरोना नहीं है या फेफड़ों से जुड़ी कोई समस्या नहीं है, उनकी मर्जी है कि वे प्रोन पोजिशन में लेटें या नहीं लेकिन जिन्हें कोरोना है और ऑक्सीजन लेवल 92-93 तक गिर गया हो, उन्हें प्रोन पोजिशन में लेटना चाहिए। 30 मिनट से लेकर जब तक आराम से लेट पाएं, तब तक इस पोजिशन में लेटें। दरअसल, इस पोजिशन में लेटने से लंग्स के निचले वाले हिस्से में ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचने लगती है। रिसर्च में भी पाया गया है कि पीठ के बल लेटने की तुलना में प्रोनिंग पोजिशन में लेटने या सोने से शरीर का ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है।
प्रोनिंग ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने में मददगार (how proning increase oxygen level in body)
स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा जारी प्रोनिंग गाइडलाइन में बताया गया है कि जिन लोगों में कोविड-19 के पॉजिटिव परिणाम सामने आ रहे हैं, उनके लिए सेल्फ केयर में प्रोनिंग बेहद फायदेमंद है। इससे वेंटिलेशन में भी सुधार लाया जा सकता है।इससे सांस की दिक्कत में भी आराम मिलता है।बीते कुछ वर्षों में इस तकनीक से एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (Acute Respiratory Distress Syndrome) (ARDS) से पीड़ित मरीजों को लाभ मिला है। यह मेडिकली सुरक्षित उपचार है।
प्रोनिंग की जरूरत कब
प्रोनिंग की जरूरत तब होती है जब किसी व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है और उसका SpO2 लेवल 94 से कम हो जाता है। SpO2 यानि ऑक्सिजन लेवल की नियमित निगरानी बहुत जरूरी है। इसके साथ ही बॉडी टेंप्रेचर, ब्लड प्रेशर, और ब्लड शुगर की जांच भी बहुत जरूरी है। इन सब चीजों से आप बड़े खतरे को टाल सकते हैं।
प्रोनिंग का सही तरीका (What is the right way for proning)
प्रोनिंग पोजिशन का सही तरीका यह है कि मरीज इसे अपनी क्षमतानुसार 16 घंटे में एक बार करें। इसे दिन में दो बार भी किया जा सकता है या व्यक्ति इसे अपनी सुविधानुसार कर सकता है। प्रोनिंग के लिए 4-5 तकियों की जरूरत होती है। इसके लिए तकिया बेहद जरूरी है और तकिये की पोजिशन ऐसी हो जिससे उल्टे लेटने पर तकलीफ न हो।एक तकिया गर्दन और छाती के ऊपरी हिस्से के नीचे रखें। दूसरा तकिया पेट से नीचे और जांघों के ऊपर की तरफ रखें। तकिया ऐसा रखा हो कि पेट को दबाए नहीं। अगर पेट बाहर निकला हो और वजन ज्यादा हो तो 2-3 तकियों की जरूरत पड़ सकती है।तीसरा तकिया घुटनों से नीचे और पंजों से ऊपर की तरफ रखा हो। इस पोजिशन में। लेट जाएं तो एक हाथ पेट के नीचे रखकर देख लें कि पेट। दब तो नहीं रहा। पेट दबेगा तो प्रोनिंग का फायदा कम होगा क्योंकि फेफड़ों तक हवा पहुंचाने के लिए पेट नहीं दबना चाहिए।इस दौरान हाथ छाती या पेट के नीचे न होकर आराम से साइड में हों। इस पोजिशन में 30 मिनट तक लेटें। लंबी गहरी सांस लेने की कोशिश करें।इस दौरान ऑक्सीमीटर लगा लें ताकि पता लग सके कि ऑक्सीजन का लेवल नीचे तो नहीं जा रहा।आमतौर पर इस पोजिशन में नीचे नहीं जाता लेकिन अगर जाए तो इसे न करें। अगर पीठ के बल लेटने में दिक्कत है तो साइड प्रोनिंग भी कर सकते हैं। इस पोजिशन में सिर्फ एक तकिया सिर के नीचे रखने की जरूर होती है।.
प्रोनिंग में इन खास बातों का ध्यान रखें
- खाना खाने के तुरंत बाद न करें।
- कम से कम 16 घंटे में एक बार करें
- इस दौरान कोई दबाव महसूस हो, तो न करें।
- प्रोनिंग के दौरान जी मचले तो इसे बंद कर दें।
- गर्भवती महिलाएं भूलकर भी प्रोनिंग न करें।
- दिल से जुड़ी बीमारी हो तो इसे न करें।
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