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पैदा होने पर नवजात शिशु का रोना क्यों जरूरी है?

04:27 PM Feb 10, 2021 IST | Health OPD

बच्चे का जन्म हर माता-पिता के लिए अनोखा अनुभव होता है। नवजात बच्चे को मां 9 महीने कोख में पालने के बाद असहनीय दर्द के बाद अपने बच्चे को जन्म देती है। बच्चा जब जन्म लेता है उसके बाद रोना जरूरी होता है। बच्चा जैसे ही रोता है मां का सारा दर्द दूर हो जाता है। वैसे तो नवजात शिशु अपनी जरूरतों को रोने के माध्यम से ही बताते हैं। कई बार कुछ बच्चे जन्म लने के बाद रोना शुरु नहीं करते हैं। क्या जन्म के बाद बच्चे का रोना जरूरी होता है? इस सवाल का जवाब लगभग हर माता-पिता को पता होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जन्म के बाद बच्चे का पहली बार रोना क्यों जरूरी है? 

1 ) पहली बार बच्चे का रोना न सिर्फ सेहतमंद तरीके से प्रजनन का संकेत है, बल्कि रोने के साथ नवजात के फेफड़े भी सांस लेने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाते हैं। शिशु जब मां के गर्भ में होता है, तब वह सांस नहीं लेता। वह एम्नियोटिक सैक नामक एक थैली में होता है, जिसमें एम्नियोटिक द्रव भरा होता है। उस समय शिशुओं के फेफड़ों में हवा नहीं होती। उनके फेफड़ों में भी एम्नियोटिक द्रव भरा होता है। इस स्थिति में बच्चे के सारा पोषण अपनी मां के द्वारा गर्भनाल के जरिये मिलता है।

2 ) मां के शरीर से बच्चे के बाहर आते ही गर्भनाल काट दी जाती है। इसके बाद शिशु को उल्टा लटकाकर उसके फेफड़ों से एम्नियोटिक द्रव निकालना जरूरी होता है, ताकि फेफड़े सांस लेने के लिए तैयार हो सकें। इसके लिए जरूरी है कि बच्चा लंबी सांसें ले, जिससे फेफड़ों के कोने-कोने से एम्नियोटिक द्रव निकल जाए और फेफड़ों की कार्यात्मक इकाई एल्विओली तक हवा आने-जाने के मार्ग खुल जाएं। द्रव के निकल जाने पर श्वास का मार्ग खुल जाता है और वायु का संचार होने लगता है।

3 ) इन सबके लिए रोने की क्रिया महत्वपूर्ण काम करती है। दरअसल रोते समय बच्चा गहरी सांस लेता है। यही वजह है कि जन्म के बाद अगर बच्चा खुद नहीं रोता है, तो उसे हल्की सी चपत लगाकर रुलाया जाता है। प्रसव की क्रिया मां और बच्चे दोनों के लिए कष्टदायक होती है। बच्चा बहुत संकरे मार्ग से निकलकर दुनिया में आता है। बाहर का वातावरण उसके लिए मां के शरीर के अंदर मिले वातावरण से अलग होता है। सुरक्षित माहौल से निकलकर मुश्किलों से भरे माहौल में आना भी बच्चे के रोने का एक कारण है।

4 ) ज़ोर से रोने की आवाज इस बात का प्रमाण है कि आपका शिशु आपके गर्भ के बाहर साँस ले सकता है, इसलिए डॉक्टर आपके शिशु को जन्म के तुरंत बाद पहले कुछ सेकंड में रोने के लिए उकसाते हैं। जो शिशु खुद से नहीं रोते हैं, उन्हें उत्तेजित करके रुलाया जाता है। इसके लिए, डॉक्टर आमतौर पर नवजात शिशु को उसके पैरों से पकड़ते हैं, और उल्टा लटकाकर, उसके नितम्ब पर मारते हैं। यह प्रक्रिया अब डॉक्टरों द्वारा उपयोग नहीं की जाती है क्योंकि इसे आवश्यक नहीं माना जाता है।

5 ) इस तरह, जब आप अपने बच्चे को रोते हुए सुनते हैं, तो यह मत सोचिये की आपका शिशु मुश्किल में है। यह एक संकेत है की आपका शिशु स्वस्थ है और जल्द ही आपकी गोद में होगा।

https://www.youtube.com/watch?v=ai9fdXMldzA

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