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Viruddha Ahara: कई गंभीर बीमारियां का कारण है विरुद्ध आहार, जानें किसके साथ क्या न खाएं

03:43 PM Jun 20, 2021 IST | Health OPD
viruddha ahara  कई गंभीर बीमारियां का कारण है विरुद्ध आहार  जानें किसके साथ क्या न खाएं

Viruddha Ahara: आयुर्वेद में विरुद्ध आहार (incompatible food) को काफी अच्छे से वर्णित किया गया है। गंगा आयुर्वेदिक चिकित्सालय व पंचकर्म चिकित्सा केंद्र, सारनाथ (वाराणसी) में प्रमुख वैद्य आनन्द पाण्डेय बता रहे हैं विरुद्ध आहार के बारे में विस्तार सेः

भोजन 17 प्रकार से विरुद्ध (Viruddha Ahara) हो सकता है:

  • देश विरुद्ध: सूखे या तीखे पदार्थों का सेवन सूखे स्थान पर करना या दलदली जगह में करना, चिकनाई युक्त खाने का सेवन करना।
  • काल विरुद्ध: ठंड में सूखी और ठंडी वस्तुएं खाना और गर्मी के दिनों में तीखी कषाय (कसैली) चीजों का सेवन।
  • अग्नि विरुद्ध: यदि जठराग्नि मध्यम हो और व्यक्ति गरिष्ठ भोजन खाए तो इसे अग्नि विरुद्ध आहार कहा जाता है।
  • मात्रा विरुद्ध: अगर घी और शहद बराबर मात्रा में लिया जाए तो हानिकारक होता है।
  • सात्म्य विरुद्ध: नमकीन भोजन खाने की प्रवृत्ति रखने वाले मनुष्य को मीठे और रसीले पदार्थ खाने पड़ें।
  • दोष विरुद्ध: ऐसी औषधि या भोजन का प्रयोग करना जो व्यक्ति के दोष को बढ़ाने वाला हो और उनकी प्रकृति के विरुद्ध हो।
  • संस्कार विरुद्ध: कई प्रकार के भोजन को अनुचित ढंग से पकाया जाए तो वह विषैला बन जाता है।मसलन, दही या शहद को अगर गर्म कर लिया जाए तो ये घातक और विषैले बन जाते हैं।
  • कोष्ठ विरुद्ध: जिस व्यक्ति को कोष्ठबद्धता (कब्ज) हो, यदि उसे हल्का, थोड़ी मात्रा में और कम मल बनाने वाला भोजन दिया जाए या इसके उलट शिथिल गुदा वाले व्यक्ति को अधिक गरिष्ठ और ज़्यादा मल बनाने वाला भोजन देना कोष्ठविरुद्ध आहार है।
  • वीर्य विरुद्ध: जिन चीज़ों की तासीर गर्म होती है, उन्हें ठंडी तासीर की चीजों के साथ लेना।
  • अवस्था विरुद्ध: थकावट के बाद वात बढ़ने वाला भोजन लेना अवस्था विरुद्ध आहार है।
  • क्रम विरुद्ध: यदि व्यक्ति भोजन का सेवन पेट साफ होने से पहले करे या जब उसे भूख ना लगी हो या जब अत्यधिक भूख लगने से भूख समाप्त हो गई हो।
  • परिहार विरुद्ध: जो चीज़ें व्यक्ति को वैद्य के अनुसार नहीं खानी चाहिए, उन्हें खाना जैसे कि जिन लोगों को दूध न पचता हो, वे दूध से निर्मित पदार्थों का सेवन करें।
  • उपचार विरुद्ध: किसी विशिष्ट उपचारविधि में अपथ्य (ना खाने योग्य) का सेवन करना। जैसे घी खाने के बाद ठंडी चीज़ें खाना (स्नेहन क्रिया में लिया गया घृत)।
  • पाक विरुद्ध: यदि भोजन पकाने वाली अग्नि बहुत कम ईंधन से बनाई जाए जिससे खाना अधपका रह जाए या कहींकहीं से जल जाए।
  • संयोग विरुद्ध: दूध के साथ अम्लीय पदार्थों का सेवन।
  • हृदय विरुद्ध: जो भोजन रुचिकर ना लगे, उसे खाना।
  • सम्पद विरुद्ध: यदि अधिक विशुद्ध भोजन को खाया जाए तो यह सम्पद विरुद्ध आहार है।
  • इस प्रकार के भोजन से पौष्टिकता विलुप्त हो जाती है।
  • विधि विरुद्ध: सार्वजनिक स्थान/एकांत पर बैठकर भोजन खाना।

इस प्रकार के भोजन के सेवन से अनेक प्रकार के चर्म रोग, पेट में तकलीफ, भगन्दर, पागलपन, पेट फूलना, जुकाम, मूर्छा, कुष्ठ, अम्लपित्त, गले के रोग, अंधापन, जलोदर, खून की कमी, शरीर पर सफेद चकते, पुंसत्व का नाश आदि रोग हो जाते हैं।

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विरुद्ध आहार पर और विस्तार से जानकारीः

  • दूध के साथ फल खाना
  • दूध के साथ खट्टे अम्लीय पदार्थ का सेवन
  • दूध के साथ नमक वाले पदार्थों का सेवन
  • गेहूं को तिल तेल में पकाना
  • दही, शहद या मदिरा के बाद गर्म पदार्थों का सेवन
  • केले के साथ दही या लस्सी लेना
  • ताम्र चूड़ामणि (chicken) के साथ दही का सेवन
  • तांबे के बर्तन में घी रखना
  • मूली के साथ गुड़ खाना
  • मछली के साथ गुड़ या दूध लेना
  • तिल के साथ कांजी का सेवन
  • चाय के बाद ठंडे पानी का सेवन करना
  • फल और सलाद के साथ दूध का सेवन करना
  • दूध के साथ नमक लेना
  • अंकुरित धान्य (अनाजों) के साथ दही का प्रयोग करना
  • खीर खाने के बाद सत्तू पीना
  • रात में सत्तू या दही खाना
  • सरसों के तेल में भुनी मछली, कबूतर या सुअर का मांस खाना
  • अंकुरित धान्य (अनाजों) के साथ दही का प्रयोग
  • खीर खाने के बाद सत्तू पीना
  • दूध के साथ कटहल का प्रयोग करना
  • शरीर में थकान उत्पन्न होने पर सहसा भोजन करना

ये भी जरूर जानें

  • शहद को कभी भी पकाना नहीं चाहिए।
  • सूरा, खिचड़ी और खीर एक साथ खाना विरुद्ध है।
  • गर्मी से पीड़ित होने के बाद एकदम से ठंडा पानी पीना या आंखों में लगाना विरुद्ध होता है।
  • खाने के एकदम बाद चाय पीना। इससे शरीर में आयरन की कमी आ जाती है।
  • उड़द की दाल के साथ दही या तुअर की दाल का सेवन करना। दही-बड़े वास्तव में विरुद्धाहार हैं।
  • सलाद का सेवन मुख्य भोजन के बाद करना। ऐसा करने से सलाद को पचाना शरीर के लिए मुश्किल हो जाता है और गैस व एसिडिटी की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • सूरा, खिचड़ी और खीर एक साथ खाना विरुद्ध है।
  • गर्मी से पीड़ित होने के बाद एकदम से ठंडा पानी पीना या आंखों में लगाना विरुद्ध होता है।

उपचार: विरुद्ध आहार से उत्पन्न व्याधियों के उपचार के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा पंचकर्म है जोकि वैद्य या पंचकर्म विशेषज्ञ की देखरेख में ही कराना चाहिए । लेखक वैद्य आनन्द पाण्डेय गंगा आयुर्वेदिक चिकित्सालय व पंचकर्म चिकित्सा केंद्र, सारनाथ (वाराणसी) में प्रमुख वैद्य हैं।

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